सोमवार 19 मई 2025 - 11:09
हौज़वी प्रमाणपत्रों की संरचना और विश्वसनीयता में सकारात्मक परिवर्तन/ सुप्रीम लीडर के संदेश की तामीर की दिशा में पहला क़दम

हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया के निदेशक ने कहा, हौज़वी प्रमाणपत्र एक नाज़ुक और संवेदनशील विषय है, क्योंकि न तो समाज में प्रचलित प्रमाणपत्रों की अनदेखी की जा सकती है, और न ही उनकी विश्वसनीयता की बुनियाद हौज़ा से बाहर होनी चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,हौज़ा ए इल्मिया के प्रमुख आयतुल्लाह अराफ़ी ने हौज़ा के सहायकों और प्रबंधकों की परिषद के साथ एक बैठक में रहबर-ए-मुअज्ज़म  के हौज़ा से संबंधित ऐतिहासिक संदेश की ओर इशारा करते हुए हौज़ा-ए-इल्मिया में बुनियादी बदलावों की शुरुआत पर बात की।

उन्होंने कहा,रहबर-ए-मुअज्ज़म की हिदायतों की तकमील के रास्ते पर हौज़ा के सभी विभाग सक्रिय और गतिशील रवैये के साथ नए क़दम उठा चुके हैं, जिनकी तफसील बहुत जल्द सामने लाई जाएगी। इस बदलाव की राह का पहला क़दम है राष्ट्रीय स्तर पर हौज़वी प्रमाणपत्रों की स्थिति और विश्वसनीयता की नई परिभाषा।

हौज़ा-ए-इल्मिया के प्रमुख के अनुसार,हौज़वी असनाद (प्रमाणपत्रों) का मुद्दा बहुत नाज़ुक और गहराई से जुड़ा हुआ है; समाज में प्रचलित प्रमाणपत्रों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, और न ही उनके अधिकारिक मूल्य को हौज़ा से बाहर माना जा सकता है।

आयतुल्लाह आराफ़ी ने रहबर-ए-मुअज्ज़म की दृष्टि में बदलाव के बिंदु को स्पष्ट करते हुए कहा,रहबर के बयानों के अनुसार हौज़ा एक स्वायत्त संस्था है, और हौज़वी प्रमाणपत्रों की वैधता और विश्वसनीयता किसी सरकारी संस्था की मंज़ूरी पर निर्भर नहीं है, बल्कि यह हौज़ा की वैज्ञानिक स्थिति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से प्राप्त होती है।

इसलिए हौज़वी प्रमाणपत्रों को स्वायत्त होना चाहिए और उनका औपचारिक मूल्य केवल शूरा-ए-इन्क़िलाब-ए-फ़रहंगी की पुष्टि से स्थापित होना चाहिए।

हौज़वी प्रमाणपत्रों की संरचना और विश्वसनीयता में सकारात्मक परिवर्तन/ सुप्रीम लीडर के संदेश की तामीर की दिशा में पहला क़दम

उन्होंने कहा,यह परिवर्तन उस मार्ग की शुरुआत है जो हौज़ा के भविष्य को अधिक प्रतिष्ठित और स्वायत्त बनाएगा। इस संदर्भ में शूरा-ए-इन्क़िलाब-ए-फ़रहंगी की मंज़ूरी केवल इस बिंदु तक सीमित होगी कि हौज़वी प्रमाणपत्र अन्य शैक्षणिक प्रमाणपत्रों के समान प्रभाव रखते हैं। दरअसल, यह परिषद सरकारी संस्थाओं को यह अवगत कराएगी कि इन प्रमाणपत्रों को औपचारिक संस्थानों में मान्यता दी जाए।

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